Ye waqt kya hai - A Great Poem By Javed Akhtar

Ye waqt kya hai – Shayari of Javed Akhtar“
Ye waqt kya hai – Shayari of Javed Akhtar
Ye waqt kya hai – Shayari of Javed Akhtar“
वक़्त !
ये वक़्त क्या है
ये क्या है आखिर कि जो मसल्सल गुजर रहा है
ये जब न गुज़रा था तब कहाँ था?
कहीं तो होगा!
गुज़र गया है तो अब कहाँ है?
कहीं तो होगा !
कहाँ से आया, किधर गया है?
ये कब से कब तक का सिलसिला है?
ये वक़्त क्या है ?
ये वाकये ये हादसे ये तसातुम
हर एक गम और हर एक मसर्रत
हर एक क़जीयत हर एक लज्ज़त
हर एक तबस्सुम हर एक आंसू
हर एक नगमा हर एक खुसबू
वो ज़ख्म का दर्द हो कि वो लम्ज़ का हो जादू
खुद अपनी आवाज़ हो कि माहौल कि सदायें
ये जेहन में बनती और बिगडती हुयी फज़ाए
वो फिक्र में आये ज़लज़ले हों दिल में हलचल
तमाम एहसास
सारे जज्बे
ये जैसे पत्ते हैं
बहते पानी कि सतह पे जैसे तैरते हैं
अभी यहाँ है,
अभी वहां है,
और अब हों ओझल ,
दिखाई देता नहीं है लेकिन ये कुछ तो है जो कि बह रहा है !
ये कैसा दरिया है !
किन पहाड़ों से आ रहा है?
ये किस समुन्दर को जा रहा है?
ये वक़्त क्या है ?
कभी कभी मैं ये सोचता हूँ
कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो तो ऐसा लगता है दूसरी संत जा रहे हैं
कभी कभी मैं ये सोचता हूँ
कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो तो ऐसा लगता है दूसरी संत जा रहे हैं
मगर हकीकत में पेड़ अपनी जगह खड़े हैं
तो क्या ये मुमकिन है
सारी सदियाँ कतार अन्दर कतार अपनी जगह खड़ीं हो
ये वक़्त साकित हो और हम ही गुजर रहे हों
इस एक लम्हें में सारे लम्हें तमाम सदियाँ छुपी हों
न कोई आइन्दा न गुज़िस्तान
जो हो चुका है हो रहा है
जो होने वाला है हो रहा है
मैं सोचता हूँ कि क्या ये मुमकिन है
सच ये हो कि सफ़र में हम हैं
गुजरते हम हैं
जिसे समझते हैं हम गुजरता है , वो थमा है
गुजरता है या थमा हुआ है
इकाई है या बंटा हुआ है
है मुंज़मिद या पिघल रहा है
किसे खबर है किसे पता है?
ये वक्त क्या है ?
- By Javed Akhtar

Comments